ग़ज़ल
इक दफ़ा ही सही होंठों से लगा ले मुझ को
काग़ज़ी फूल हूँ ख़ुशबू का बना ले मुझ को
इस से पहले कि ज़माने से मुहब्बत उट्ठे
है दुआ मेरी ख़ुदाया तू उठा ले मुझ को
मैं तेरी राह में...
काग़ज़ी फूल हूँ ख़ुशबू का बना ले मुझ को
इस से पहले कि ज़माने से मुहब्बत उट्ठे
है दुआ मेरी ख़ुदाया तू उठा ले मुझ को
मैं तेरी राह में...