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अधूरापन...
कितना भरा सा हैं..
कितना खाली खाली..
और ये अधूरापन... कौन सवाली. मेरे मन का..
अधूरा अनसुना रह रहा मैं
बीच मझधार बह रहा मैं..
कितना कुछ सहना पड़ता..
कुछ नहीं फिर कहना पड़ता..
सितारों की चित्तचोर झलक..
अनवान्छित सी होती पलक..
गरज बरस का दामन थामें..
कितने मधुर हैं नामें..
उकताए दिल को माहौल दिल का..
उकसाए मन को ख्याल मन का..
किन अधरों पर बसना चाहे..
ख्वाब मेरा अधूरेपन का..
और ये मेरा अधूरापन.. कौन सवाली मेरे मन का
© All Rights Reserved
कितना खाली खाली..
और ये अधूरापन... कौन सवाली. मेरे मन का..
अधूरा अनसुना रह रहा मैं
बीच मझधार बह रहा मैं..
कितना कुछ सहना पड़ता..
कुछ नहीं फिर कहना पड़ता..
सितारों की चित्तचोर झलक..
अनवान्छित सी होती पलक..
गरज बरस का दामन थामें..
कितने मधुर हैं नामें..
उकताए दिल को माहौल दिल का..
उकसाए मन को ख्याल मन का..
किन अधरों पर बसना चाहे..
ख्वाब मेरा अधूरेपन का..
और ये मेरा अधूरापन.. कौन सवाली मेरे मन का
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