...

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कितना प्यारा वो चेहरा है
यादों की दहलीज़ पे जैसे
आकर कोई बैठ गया है

ऐसा लगता है जैसे की
सर्द हवाओं का पहरा है

किसकी यादों की बारिश से
तन मन मेरा भीग रहा है

दिल बेचारा क्या समझेगा
किसका इस पर ज़ोर चला है

उसने अपनी ज़ुल्फ़ संवारी
देखो सवेरा होने लगा है

उसको देख के बादल भी अब
जैसे बरसना भूल गया है

इश्क़ को भी हो जाए मोहब्बत
इतना प्यारा वो चेहरा है

दिल का क्या है दिल पागल है
उस को अपना सोच लिया है

© ✍︎ 𝐀𝐪𝐢𝐛