...

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कुछ यादें
जितनी भी कोषिष करू
तुमको भुलाने की
याद तो आउगे
क्यो की मेरी ज़िन्दगी तुम्हारी थी।

एक अच्छी याद थे तुम
जिसकी यादो को आंखो मै समेट रखती थी
ताकी बोल सकूं तुमको अपनी यादे जो दिल मै थी

आख वद कर लेती थी ओर दीखते थे तुम
उतनी यादे काफी थी मुझे खुद को समझाने की

जब यादो से निकल ने की कोसीस की तुमने
सब कुछ बिखर गया
जो सादगी औरो से अलग थी औ कही गुम गया।

अब कोसीस करती हु पर ना मिलते हो तुम
डूनती हु मै रात भर ना दिख ते हो तूम।।

अब बस यही उम्मीद लेके जीतीहु
वो यादे जो कही गुम गयी फिर से दीखने लगे
तुम्हारी सादगी मुझे फिर से खुश करने लगे।।




© sukanyadasgupta18