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aloneness of night
रात तन्हाई अपने साथ लाती है
मैं सोना चाहता हूँ पर ये अकेलापन
मेरी नींद चुरा ले जाती है
समेटना चाहता हूँ खुद को
चादर की आगोश में मगर
किसी की याद इन चादरों में और बढ़ा जाती है
कमी कुछ नहीं पर फिर भी कमी है
किसी की याद में आज आखों में नमी है
ये देखना है कब ये हालात बदलेंगे
उनकी याद में कट जाएगा ये वक्त
या फिर जज्बात बदलेंगे
© rizi
मैं सोना चाहता हूँ पर ये अकेलापन
मेरी नींद चुरा ले जाती है
समेटना चाहता हूँ खुद को
चादर की आगोश में मगर
किसी की याद इन चादरों में और बढ़ा जाती है
कमी कुछ नहीं पर फिर भी कमी है
किसी की याद में आज आखों में नमी है
ये देखना है कब ये हालात बदलेंगे
उनकी याद में कट जाएगा ये वक्त
या फिर जज्बात बदलेंगे
© rizi
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