इस आजाद दुनिया में जानवर अब भी कैद है।
धूप में झटपटाती आंखें छांव भरी छत मांगती है
नींद की गोदी में सोने के लिए हवा का शीतलता भरा आंचल मांगती है
धरा की गंदगी को खाती रहने वाली जीह्वा मीठी...
नींद की गोदी में सोने के लिए हवा का शीतलता भरा आंचल मांगती है
धरा की गंदगी को खाती रहने वाली जीह्वा मीठी...