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बचपन का इंतजार
बचपन का इंतजार है
जो खत्म होने वाला है
बचपन का एक विचार है
जो अब साकार रूप लेने वाला है
साल दो साल और बाकी है
इस सपने को पूरा होने में
मन भूमि से युद्ध खत्म हो
रण भूमि में शुरू हो गया है
न जाने कितनी ही बार रास्ता भूली
न जाने कितनी ही बार
ठोकरें खाई और खाऊंगी
मगर विश्वास है न हारने
कि उम्मीद है जीतने कि
शुक्र गुजार हूं अपनी दृढ़
इच्छाशक्ति कि जो हर बार
फिर से लड़ने की...