नये साल में कुछ ख़ास करते हैं
छोड़कर धर्म व मजहब की बातें अब,
सबसे अपनेपन का ब्यवहार करते हैं,
आओ नये साल में कुछ ख़ास करते हैं l
अपनी खुशियों में तो सभी ख़ुश होते हैं,
दूसरों की खुशियों का खयाल करते हैं,
आओ नये साल में कुछ ख़ास करते हैं l
जो साथ हैं उनका हाथ थाम लेते हैं,
कुछ नये लोगों को भी साथ में लेते हैं,
आओ नये साल में कुछ ख़ास करते हैं l
अनसुलझी सी पहेली बन गई जिंदगी,
आओ नये वर्ष में इसका हल ढूंढ़ते हैं,
आओ नये साल में कुछ ख़ास करते हैं l
भूल जाओ पिछले वर्ष की मुश्किलों को,
खुशियों का हाथ थामकर साथ चलते हैं,
आओ नये साल में कुछ ख़ास करते हैं l
- Madan Kumar Gankoti