...

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दूर उफ़ुक़ पर
दूर उफ़ुक़ पर सूरज
डूब रहा था
विरह की वेदना लिए हुए
सांझ भी उदास थी
लम्बे इंतज़ार और इक
झलक को तरसते दो
प्रेमी अतृप्त निगाहों से
जुदा हो रहे थे...