बताने दो!
उसको मेरी गुफ्तुगू का अन्दाज़ बताने दो,
वो भी अपना ही तो है हर राज़ बताने दो!
कांटों से ज़ख्म खाना कोई नई बात नहीं,
जो फूलों से ज़ख्म खाये हैं वो बात बताने दो!
इतनी भी सहल नहीं ज़िन्दगी जितनी दिखती है,
हर लम्हा नई कहानी है एक लम्हा तो मुस्कुराने दो!
बिखर जाओगे तन्हा दूर तक जाओगे अगर,
ज़रा ठहरो किसी खेरख्वाह को साथ आने दो।
स्याही के दाग तो मिट ही जायेंगे आस,
दिलों के मैल को भी तो ज़रा गलाने दो!
उसको मेरी गुफ्तुगू का अन्दाज़ बताने दो,
वो भी अपना ही तो है हर राज़ बताने दो!
© alfaaz-e-aas
वो भी अपना ही तो है हर राज़ बताने दो!
कांटों से ज़ख्म खाना कोई नई बात नहीं,
जो फूलों से ज़ख्म खाये हैं वो बात बताने दो!
इतनी भी सहल नहीं ज़िन्दगी जितनी दिखती है,
हर लम्हा नई कहानी है एक लम्हा तो मुस्कुराने दो!
बिखर जाओगे तन्हा दूर तक जाओगे अगर,
ज़रा ठहरो किसी खेरख्वाह को साथ आने दो।
स्याही के दाग तो मिट ही जायेंगे आस,
दिलों के मैल को भी तो ज़रा गलाने दो!
उसको मेरी गुफ्तुगू का अन्दाज़ बताने दो,
वो भी अपना ही तो है हर राज़ बताने दो!
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