...

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नए साल का नया मुखौटा
नए साल का नया मुखौटा,
क्या अव्वल है? क्या है खोटा?
गया समय जो अब न लौटे,
नए समय का नया मुखौटा,

नई आदतें बुला रही हैं,
पल–पल ये दर्शा रही हैं,
मिल कर रह दिन–साँझ तू,
हटकर बन दिन–साँझ तू,

मेहनत का तू लोहा मनवा,
हस्तों से मेहनत करवा,
जो भूल गए उनको कह अलविदा,
पुरानी यादें भी अलविदा,

नए साल का कर के प्रण,
नया सा होगा अब तेरा रण,
धूल को टीका मान कर,
ऐ! पाशिंदे तू हीरा बन,
ऐ! पाशिंदे तू हीरा बन...

© AK Dhiman ‘Veer’