...

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सच्चाई
नदी को क्यों करते हो साफ,
वो तुमको करती साफ़।
गंदा ना करोगे यह प्रण ले लो,
वह खुद हो जाएगी साफ़ ।
क्यों व्यर्थ धन बहाते हो,
जन का करो कल्याण।
जंगल लगाने की ढोंग छोड़ो,
काटने वालों को ना करो तू माफ़।
जंगल खुद ही जंगल होगा,...