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रखना कदम तुम संभाल के
#shadow #shadowpoem

रखना तुम कदम संभालके
डगर है मुश्किल,अनजान है रास्ते
मंजिल है दूर, रखना अपने पैरो में जान
चलना आहिस्ते, आहिस्ते

यू ही निकला तू मुसाफिर,
अपने अनजाने सफर पर
लेना है तुझे अपनी मेहनत का फल
कांटे भरे राहों पर, पथरीला समां है
यू ही बढ़ता रह मुसाफिर,
किससे तू थमा है ।
देखना तुझे है तेरा कल

तू ठीठ, तू पागल, तू ही मस्तमौला है
अपनी धुन में जो भूलें दुनिया को
रखना तुम कदम संभालके
तू आदमी वो अलबेला है

तुझे क्या डर, तुझे क्या फिकर
तू क्यों ठहरता है,
बस तुम रखना कदम संभालके
दुनिया दारी के चक्कर में क्यों पड़ता है

© shadow