...

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When Old Books Speak...
#UnopenedPages

"बड़ी तबीयत से लिखा गया हमें भी,
शायरों के दिल की कलम से कभी,
आज हमारा कोई न तलबगार रहा,
बदलता वक्त इसका गुनहगार रहा!"

सब पढने वालों से यही गुज़ारिश है
ये न समझो कि अपनी सिफारिश है
ज़िन्दगी समझने में जब मुश्किल हो
हमसे मिलकर देखना शायद हल हो!"

We are just not old books but your ancestors, preserve us to safeguard yourselves.

© Manas