गाथा में स्त्रियों के द्वारा अर्जित किया गाए भोग क्या क्या है।।
स्त्री ही शुरूआत है,
स्त्री ही अन्त है,
स्त्री ही बंधन है,
स्त्री ही उड़ान है,
स्त्री ही उंचाई है,
स्त्री ही गहरी है
स्त्री ही प्रलय है
स्त्री ही अन्त है
शुरुआत ही मां है,
मां का आशीर्वाद ही वात्सल्य भोग,
मां सरस्वती है,
मां ही लक्ष्मी है,
मां ही राधा है,
वहीं सार है वहीं संगत है,
और सभी मां की योनि में वास करने वाली मात्रृत्व की श्रेणी की रेखा का अनुक्रमांक है।।
और जिस प्रकार लेखक इच्छा मुक्त नहीं हो सकता है, उसी तरह नायिका भी...
स्त्री ही अन्त है,
स्त्री ही बंधन है,
स्त्री ही उड़ान है,
स्त्री ही उंचाई है,
स्त्री ही गहरी है
स्त्री ही प्रलय है
स्त्री ही अन्त है
शुरुआत ही मां है,
मां का आशीर्वाद ही वात्सल्य भोग,
मां सरस्वती है,
मां ही लक्ष्मी है,
मां ही राधा है,
वहीं सार है वहीं संगत है,
और सभी मां की योनि में वास करने वाली मात्रृत्व की श्रेणी की रेखा का अनुक्रमांक है।।
और जिस प्रकार लेखक इच्छा मुक्त नहीं हो सकता है, उसी तरह नायिका भी...