...

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युद्ध की खामोशी।
खामोश सी पड़ी है,
कल वो जो चहक रही थी।
अब आवो हवा है खूनी,
कल तक जो महक रही थी।।
कुछ खामोश सी पड़ी है...

अब बाकी ना कुछ बचा है,
बस हर ओर राख बाकी,
ये आग ही तो है जो, हर ओर जल रही है।
कल चूल्हे में दहक रही थी,
अब जिस्मों में सुलग रही है।।
कुछ खामोश सी पड़ी है...

© AK. Sharma