...

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सांझ
जब हम जीवन में
चलते चलते काम करते करते
थक जाते हैं उब जाते हैं ।
जब यौवन का जोश मधीम पड़ जाता है
तब जीवन की सांझ आती है
और हमसे हमारे किये गये हर कर्मों का
हिसाब मांगती है ।
हम निरूतर हो जाते हैं
सोच में पड़ जाते हैं
हमने ऐसा कर्म ही क्यों किया ?
कोई प्रश्न खड़ा हो और हम निरूतर हो जांये ।