...

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उसे हम प्यार कहते हैं
जो गैराें में भी अपना है, उसे हम यार कहते हैं।
जो रूहों में समाया है, उसे हम प्यार कहते हैं।

दिया दिल के बदले में, अपना दिल तुमने जानी,
उसे तुम प्यार कहते और हम व्यापार कहते हैं।

जो तेरे दर पे आता है, बड़ी उम्मीद से जानी,
उसे दरवेश कहते हो, हम तलबगार कहते हैं।

भरी महफ़िल में हाले दिल कहना आसान नहीं होता।
जो बिन बोले भी कह जाए, उसे इजहार कहते हैं।

फकत हां ही नहीं काफ़ी बिना होठों की ज़ुंबिश के,
जो नैनों से ही जतलाए, उसे इकरार कहते हैं।

जो नजरों ने लिया था उसकी नजरों से पंगा,
उसे तुम प्यार कहते हो, हम तकरार कहते हैं।

ये माना कि खुदा ने उसे खुद बनाया था,
जो हासिल हो सके न, उसे बेकार कहते हैं।
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@Pankaj_bist_ruhi
© Pankaj Bist 'Ruhi'