...

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पुराने दिन
कच्चे मकान थे,
पर रिश्ते सारे सच्चे थे,
घर छोटा था,
पर दिल बड़ा था,
दो रोटियां कम पकती थी,
पर सबके हिस्से में बराबर बटती थी,
घरों में चहकती हंसी थी,
और आंगन में शामें गुलजार थी,
पर क्या करें,
ये सब पुरानी बातें है,
और सब पुराने रिवाज है...... #पुराने_दिन #कविता #सुहाने_दिन
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