अनकही
कागज़ और कलम लेकर
बैठ गई सोची की बस
लिख दूं जो भी मेरे मन में है कैद
आज बस आजाद कर दूं
बस...
बैठ गई सोची की बस
लिख दूं जो भी मेरे मन में है कैद
आज बस आजाद कर दूं
बस...