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#कर्ण
#कर्ण
वह अजेय, निर्भीक, साहसी योद्धा निपुण था
दान, वचन और निष्ठा उसका गुण था
वह योग्य धनुर्धर और श्याम उसका वरण था
वह सुर्य पुत्र, कुन्तीनन्द महान कर्ण था।
जिसने उसे वीरो के बीच सम्मान दिलाया था
उस दुर्योधन को कर्ण ने जयेष्ठ बनाया था
वह न्याय प्रेमी पर नियति ने मित्र मोह मे फसाया था
उसकी दानशीलता के आगे देवो ने भी शीश झुकाया था।
जिस शिशु को कुन्ती ने गंगा तट पर अकेला छोड़ा था
उसने महाभारत युद्ध के परिणामों तक को मोड़ा था
वह भाग्य,काल, मौकौं से तो कब हारा था
उसको रणभूमि में धौकौं और षडयंत्रों से मारा था।।
© Nitish Nagar
वह अजेय, निर्भीक, साहसी योद्धा निपुण था
दान, वचन और निष्ठा उसका गुण था
वह योग्य धनुर्धर और श्याम उसका वरण था
वह सुर्य पुत्र, कुन्तीनन्द महान कर्ण था।
जिसने उसे वीरो के बीच सम्मान दिलाया था
उस दुर्योधन को कर्ण ने जयेष्ठ बनाया था
वह न्याय प्रेमी पर नियति ने मित्र मोह मे फसाया था
उसकी दानशीलता के आगे देवो ने भी शीश झुकाया था।
जिस शिशु को कुन्ती ने गंगा तट पर अकेला छोड़ा था
उसने महाभारत युद्ध के परिणामों तक को मोड़ा था
वह भाग्य,काल, मौकौं से तो कब हारा था
उसको रणभूमि में धौकौं और षडयंत्रों से मारा था।।
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