...

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मैं क्या चाहती हूं!!
मैं तुम्हारी जिंदगी का वो हिस्सा बनना चाहती हूं, जो पहले कभी कोई ना बना हो।
मैं तुम्हारी कहानी का वो किस्सा बनना चाहती हूं, जो पहले कभी किसी ने ना सुना हो।
मैं तुम्हारी होकर तुम्हारी होना चाहती हूं....
जैसे तुम मुझे समझो, वैसा समझना चाहती हूं।
जैसे तुम मुझे चाहो, वैसी चाहत मैं भी चाहती हूं।

दिल की कुछ चाहते है जो तुम्हे सुनाना चाहती हूं,
तेरा होकर मैं तुझमें खो जाना चाहती हूं।
जैसा ख्याल तुम मेरा रखना चाहते हो,
वैसा ध्यान मैं तुम्हारा भी रखना चाहती हूं।

तुम मेरे लिए कितने विशेष हो बस इतना समझाना चाहती हूं।

वो बातें जो मैं तुमसे कभी कह ना सकूंगी,
वो बातें मैं पन्ने पर बयां करना चाहती हूं।

मैं तुम्हे कितना चाहती हूं, ये मैं खुद नहीं जानती।
लेकिन मैं तुम्हारी परवाह करना चाहती हूं।।


ये किस्सा आज या कल का नहीं बरसो का है..
जिसमे कभी तुम्हें पाने की कोशिश नहीं की
मगर तुम्हें खोना भी नहीं चाहती हूं।
तुम मेरे हो या नहीं मैं ये नहीं जानती, लेकिन मैं तुम्हारी ही रहना चाहती हूं।

तुम मुझे मिलोगे या नहीं पता नहीं,
लेकिन जब तुम ढूंढों मैं तुम्हे हमेशा मिलना चाहती हूं।
मैं तुम्हारा इंतजार करना चाहती हूं, हर बार करना चाहती हूं।
मैं तुम्हारी इज्ज़त करना चाहती हूं, हमेशा करना चाहती हूं।
मेरी सारी चाहते तुमसे शुरु होकर तुम पर ही ख़त्म करना चाहती हूं।।

मैं अपनी इस चाहत का एक संसार चाहती हूं,
और उस संसार में हमारा साथ और थोड़ा सा प्यार चाहती हूं।।


© Aayushi Shandilya