...

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टूट चुके हैं।
टूट चुके हैं हम बस हमारा बिखरना बाकी हैं,
जो धीमी सांस हैं उसका थमना बाकी हैं।
तुम्हारा छलावा सामने आ चुका हैं मेरे,
बस तुम्हारा असली चेहरा आना मेरे पास बाकी हैं।
तुम्हारे दिए दर्द में मेरा अभी रोना बाकी हैं,
मेरी शिकायतों का तुम्हारे सामने खुलना बाकी हैं।
बाकी हैं उम्मीद एक, उन उम्मीदों का,
दो हिस्सों में बंटना बाकी हैं।
जिंदा लाश जो बनी हूं मैं, मेरा पूरा मरना बाकी हैं।
बाकी हैं मेरे अंदर हम, उस हम का मैं होना बाकी हैं।
टूट चुके हैं जो हम बस हमारा बिखरना बाकी हैं।।...

© ।। साक्षी_बर्मन।।
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शीर्षक:-टूट चुके हैं...
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