...

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इन्तज़ार के पल
बीत रहे हैं,
इंतज़ार में तुम्हारे,
ये इंतज़ार के पल।
लादे हुए हैं,
पीठ पर अपनी
उम्मीद ए वस्ल,
ये इंतज़ार के पल।
तुम्हे ही देखते, सुनते हैं हर पल,
ये इंतज़ार के पल।
बिना तुम्हारे बहुत हैं बेकल,
ये इंतज़ार के पल।
अमर हैं यूं तो प्रेम में तुम्हारे,
ये इंतज़ार के पल।
पर अब,
हो चले हैं बूढ़े,
इंतज़ार में तुम्हारे,
ये इंतज़ार के पल।

© प्रशांत शकुन "कातिब"


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