...

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The dilemmas phase of the journey from you to you .
मैं कैद हूं खुद में, खुद से ही रिहा होना चाहती हूं, जब पा लिया खुद को तो, खुद में ही कहीं खोना चाहती हूं, अभी जीत रही हूं खुद से तो क्यों खुद के ही हार में रोना चाहती हूं, और अब एतबार ही नहीं खुद पर भी, फिर भी रहने के लिए खुद की ही जिस्म का एक कोना चाहती हूं।