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महिला सशक्तिकरण
कभी शक्ति की वो रानी थी
संसार में चलती उसकी ही मनमानी थी।
देखलो गणेश को जीवित करवा
के ही वो मानी थी।
और कभी रही वो शौर्य की भी कहानी थी
वही तो झांसी वाली रानी थी।
कभी रह गई उसकी चिता पवित्रता की निशानी थी
नमन है पद्मावती वो स्वाभिमानी जो महारानी थी।
जहां देवियों कि पूजा की प्रथा वो पुरानी थी
पृथ्वी भी उस भारत को देख बड़ी ही स्वाभिमानी थी।
कि कभी शक्ति की वो रानी थी।
संसार में चलती उसकी ही मनमानी थी।
सोचा ना होगा किसी ने
कि भारत में भी कभी महिला शक्तिकरण पे बात होगी।
कि समाज में महिलाओं की भी अलग जात होगी।
कि देवियों के देश में ही महिलाओं से इतनी बड़ी वारदात होगी
और जिंदगी रोशन करने वाली के सपनों की अंधेरी रात होगी।
और महिला हर मामलों में पुरुषों के बाद होगी।
अरे क्यूं करते हो अपमान...