...

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नारी
आओ सुनाऊँ एक कहानी अनोखी
कहते हैं नारी को ज्योति
होती है वो बड़ी अनोखी
कद्र उसकी फिर भी ना होती
ज्योति से ज्वाला वो बन जाती
अत्याचार जब वो सह ना पाती
हर युग में देती वहीं परीक्षा
फिर भी सहती कष्ट हमेशा
हर दुख हर वार वो है सहती
मन की व्यथा ना किसी से कहती
पूरे घर को एक धागे में पिरोती जो
बेटी,बहन, मां हर रूप में निखरती वो
आंसू सारे पीती जो
एक उफ्फ भी ना कभी करती वो
दुख अपने मुस्कुराहट में छुपा कर रखती वो
समझा जाता गलत फिर भी उसी को
दोष दिया जाता फिर भी हर बार उसी को
उसकी व्यथा ना कोई समझता
कर्तव्य है उसका.....बस हर बार उससे यही है कहा जाता
आखिर है तो वह भी एक इंसान
जाने यह बात कब समझेगा संसार


© Megha

#Women #happywomensday