...

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तुम बिन जाऊँ कहाँ? मैं माँ...
तुम बिन जाऊँ कहाँ? मैं माँ...
खुशी तुम से, ग़म तुमसे, रोम-रोम मेें बहता लहू तुम से
आस तुम से, प्यास तुम से, प्रेम की यह बरसात तुम से

तुम बिन जाऊँ कहाँ? मैं माँ...
एहसास तुम से, मन का विश्वास तुम से, जीवन तुम से
ख़्वाब-ख़्याल हर बात तुम से,आँखों की ये नींद तुम से

तुम बिन जाऊँ कहाँ? मैं माँ...
वक़्त तुम से, ज़िंदगी तुम से, यह हसीन कहानी तुम से
मन मंदिर की मुरत तुम, जीवन दीप मेें ज्योति तुम से

तुम बिन जाऊँ कहाँ? मैं माँ...
रोशन सवेरा तुम से, मन भावन यह हसीन शाम तुम से
सुकून की यह नींद तुम से, दिल की हर 'आरज़ू' तुम से

तुम बिन जाऊँ कहाँ? मैं माँ...
तपती धूप में ठंडी छांव तुम से, घाव पर 'मरहम' तुम से
क़ायनात मेें कुछ नहीं बिन तेरे, यह क़ायनात ही तुम से

तुम बिन जाऊँ कहाँ? मैं माँ...