प्रभात को खिलना पड़ेगा
हो तिमिर कितना भी गहरा
रात का हो लंबा पहरा
सूर्य को उगना पड़ेगा
प्रभात को खिलना पड़ेगा!!
चाहे बादलों का शोर हो
घटाएं घनघोर हों
अंधेरा चहुंओर हो
डरें नहीं, रुकें नहीं
साहसी...
रात का हो लंबा पहरा
सूर्य को उगना पड़ेगा
प्रभात को खिलना पड़ेगा!!
चाहे बादलों का शोर हो
घटाएं घनघोर हों
अंधेरा चहुंओर हो
डरें नहीं, रुकें नहीं
साहसी...