...

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क्यूँ
अँधेरे से
मे लड रहा क्यूँ
यूँ धूट धूट कर
मर रहा क्यूँ
धूप ने सताया
छाँव निकाला
उस तरुवर को जाने सिंच रहा क्यूँ
मुग्ध किया नहीं
क्षुब्ध रखे सदा
उस पलछीन मे खींच रहा क्यूँ
ना कोई इच्छा
ना तो सांत्वन
उन लब्जो से में भीड रहा क्यूँ
ना मन की खुशी
ना तो अंतर शांति
उन पैरो तले बन कुसुम बिछा क्यूँ
केवल प्रश्न
ना एक सही उत्तर
उस जीवन को मे जीया क्यूँ???

सौम्यसृष्टि

© Somyashrusti