ईश्वर
उद्धरण रूहानी इश्क़ का
तन मन से बस देना सीखा
बिन कोई मांग बिन कोई स्वार्थ
बस ख्वाइश पूरा करते गए
वक्त के साथ रिश्ते और गहरे हो गए
गहराइयों में जा दिल को छू गए
कभी किसी हमारे अपने को अपने पास बुलाकर
तो कभी किसी को अपने को धरती पे नया अवतार लेकर भेज देते...
तन मन से बस देना सीखा
बिन कोई मांग बिन कोई स्वार्थ
बस ख्वाइश पूरा करते गए
वक्त के साथ रिश्ते और गहरे हो गए
गहराइयों में जा दिल को छू गए
कभी किसी हमारे अपने को अपने पास बुलाकर
तो कभी किसी को अपने को धरती पे नया अवतार लेकर भेज देते...