...

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बदलता मौसम
बदलता मौसम
ही तो है वो
कभी ताजगी देता है
कभी तूफ़ानों में
फँसा जाता है
पर एक वादा है
हमेशा साथ रहेगा
ना भूलेगा और
ना भूलने देगा पर
इतनी ख़ामोशी का सफ़र
बहुत शोर करता है
कुछ हाल ए दिल सुनो
कुछ सुनाओ
वक़्त गुज़र रहा है
और हम आज भी
मुकम्मल नहीं
दरमियाँ हमारे
सुलह कैसे होगी
क्यूँकि दिल पर ताले
डाले तुमने भी हैं
क़ैद किया हुआ है
दिल को हमने भी
हर रोज देखना
एक दूसरे को
पड़ोसियों की तरह
एक मुस्कुराहट
दे देना तोहफ़े में
क्या कभी
ये मौसम बदलेगा
एक सुकूं भरी
चाहत में.....
NOOR EY ISHAL