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सच बोलना बोझिल सा लगता है...
सच का सामना करना कितना कठिन होता है,
सच बोलने पर अपनों से भी दूरी हो जाती है।
जीवन में नजदीकियां बनाए रखने के लिए,
सच बोलना अक्सर बोझिल सा लगता है।
जब भी सच बात निकलती है लबों से,
तो अक्सर रिश्तों में दरार आ जाती है।
सच कहने की हिम्मत जिसमें होती है,
वो ही अक्सर तन्हाई का दर्द सहता है।
सच की राह चलना इतना सहज नहीं होता,
हर कदम पर कठिन इम्तिहान होता है।
सच की राह में जो मनमौजी चलता है,
उसे हर रिश्ते का त्याग करना पड़ता है।
सच की बातें अक्सर कड़वी लगती हैं, सबको
पर सच के बिना जीवन अधूरा सा लगता है।
सच कहने वालों का जीवन कठिन तो होता है,
पर सच का साथ निभाना भी तो जरूरी होता है।
© Vineet
सच बोलने पर अपनों से भी दूरी हो जाती है।
जीवन में नजदीकियां बनाए रखने के लिए,
सच बोलना अक्सर बोझिल सा लगता है।
जब भी सच बात निकलती है लबों से,
तो अक्सर रिश्तों में दरार आ जाती है।
सच कहने की हिम्मत जिसमें होती है,
वो ही अक्सर तन्हाई का दर्द सहता है।
सच की राह चलना इतना सहज नहीं होता,
हर कदम पर कठिन इम्तिहान होता है।
सच की राह में जो मनमौजी चलता है,
उसे हर रिश्ते का त्याग करना पड़ता है।
सच की बातें अक्सर कड़वी लगती हैं, सबको
पर सच के बिना जीवन अधूरा सा लगता है।
सच कहने वालों का जीवन कठिन तो होता है,
पर सच का साथ निभाना भी तो जरूरी होता है।
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