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मैंने क्या पाया
*मैंने क्या पाया*
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बचपन मुझको याद नहीं
जन्म लिया था कहीं, पहुँचा कहीं।
मात -पिता थे जेल में
बेकसूर हो दंड वो झेल रहे।।

माँ से बढ़कर प्यार दिया
मेरी माँ यशोदा ने।
खो दिए मैंने सात भाई
कंस के उस जेल में ।।

लाड़-प्यार से पाला जिसने
उसी को मैंने छोड़ दिया।
जीवन की हर एक खुशियों से
अपना पथ यूँ मोड़ लिया।।

छूट गई मेरी राधा रानी
जो थी प्राणों से भी प्रिय।
छोड़ दी बाँसुरी उस दिन
जो राधे को थी अधिक प्रिय।।

वध किया कंस का
छुड़वाया...