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मां-बाप का बुढ़ापा 😢
मां-बाप का बुढ़ापा
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वो बाप जो तुम्हारे लिए हाट हाट का पानी पीता है,
जिसका जीवन, तुम्हारा जीवन सुधारने में बीता है।
जिसने कभी भी रोटी पर रोटी रखकर नहीं खाई,
तुम्हारे पालन पोषण में अपनी सारी जवानी लगाई।
आज उसी को बातें सुना रहे हो..
हम पूछ रहे हैं आखिर तुम कैसे जी रहे हो।

क्या इसी दिन के लिए इन्सान बच्चे पैदा करता है,
जो बड़ा होकर मां बाप को ही घर से बेघर करता है,
क्या बहू के आने से इतना बदल जाता है अपना बेटा।
खाना कौन ही देता है,पानी के बदले फेंका जाता है लोटा।
अगर तुम अब भी मौन हो तो तुममें स्वांस क्यों चल रही है..??
क्या तुम्हें अभी भी जरा सी भी शर्म नहीं आ रही है..

बाप ने आधी रोटी खाकर तुम्हारे लिए जर जरिया बनाई..
बड़े होते ही तुम्हारे बच्चे बताने लगे उसको तुम्हारी कमाई।
जिसने नहीं बनवाया महल तुम्हारे भविष्य के लिए जोड़ते रहे,
तुम बढते रहे ज्यों ज्यों उम्र और रिश्तों में उनकी उम्मीद तोड़ते रहे।

वो नन्हें बच्चे अभी से ही हिस्सेदारी की बातें करने लगे हैं..
तुम याद करो अपना बुढ़ापा,पूत के पैर पालने में ही दिखने लगे हैं..।।

हे ईश्वर मेरी प्रार्थना है ऐसा वक्त कभी किसी के साथ मत लाना..।।

आकांक्षा मगन “सरस्वती”

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© ~ आकांक्षा मगन “सरस्वती”