सफर ......
मैं चलती रहीं,
संभलती रहीं,
मैं गिरती रहीं,
बिखरती रहीं,
मैं रोई बहुत, चोट खाई बहुत
फिर भी राह में मुस्कुराई बहुत,
ये सीखा हैं मैंने कि कमज़ोर...
संभलती रहीं,
मैं गिरती रहीं,
बिखरती रहीं,
मैं रोई बहुत, चोट खाई बहुत
फिर भी राह में मुस्कुराई बहुत,
ये सीखा हैं मैंने कि कमज़ोर...