...

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दर्द के काबिल
चाँद को चाहा, अंधेरों में डूब गया,
जो भी था ख्वाब, मेरी आँखों से टूट गया,
किस्मत में लिखा, खेल पुराना है,
तूने जो दर्द दिया, उसे दिखाना है?

नफरत करो मुझसे, मैं प्यार के लायक नहीं,
उसके लायक क्या? मैं खुद के लायक नहीं,
दिल में जो जंग है, वो अब छुपी नहीं,
तो फर्क क्या? तू पास है या कहीं नहीं?

हर कदम पे खाई ठोकर, पर हिम्मत हारी नहीं,
जिंदगी ने दिए जख्म, जो कभी भरे नहीं,
रास्ते में कांटे, पर कभी रुका नहीं,
अब नफरत करो मुझसे, मैं...