...

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" परिंदा "

( Hindi translation for all non Punjabi reader's 🙂)

केहती ! कौन परिंदा, तेरे पास आ टिकता है ...
कमबख़्त दर्द भी हो जुदा तेरा, बीच बाज़ारों बिकता है !! ੨ !!

उठा नई सियाही ! तू भी दर्द पुराने लिखता है ...
जाने तुझे, आज भी ! बीती बातों में क्या दिखता है !! ੨ !!

उड़ गए जिन्होंने उड़ना था ! केहते भविष्य अपना, आख़िर सबको दिखता है ...
मत मारा पागल भी, कहाँ बात नई कोई सीखता है !! ੨ !!

ढेरी ढा बैठे वो ! हारके भी, जो कुछ नया ना सीखता है ...
बंदिश में बंधा आख़िर ! बंदिश ही लिखता है !! ੨ !!

सच ! प्रकाश 🌄 अंदर ख़ुद मिटाके, तू मुड़ आ अंधेरे गिरता है ...
झूठ का रिश्ता " सुखविंदर " आख़िर कब ख़ालिस हो निभता है !! २ !!

केहती ! कौन परिंदा, तेरे पास आ टिकता है ...
कमबख़्त दर्द भी हो जुदा तेरा, बीच बाज़ारों बिकता है !! ੨ !!
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© Sukhwinder

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