तलब
कुछ अनकही, गुनगुनाती हुई
जिंदगी की तलब है कि जाती नहीं
कुछ अनकही, गुनगुनाती हुई
एक समंदर,दो किनारे
नीचे जमीं के खुले आसमां में
रुई सी,कोमल मखमली यादें
भूले से भी भूलाते नहीं
जिंदगी की तलब है कि...
जिंदगी की तलब है कि जाती नहीं
कुछ अनकही, गुनगुनाती हुई
एक समंदर,दो किनारे
नीचे जमीं के खुले आसमां में
रुई सी,कोमल मखमली यादें
भूले से भी भूलाते नहीं
जिंदगी की तलब है कि...