...

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दर्द
सुनो.....

  उनका.....ना कोई हमदर्द था ना ही उन्हें कोई दर्द था,
फ़िर एक हमदर्द मिला, उसी से ही सारा दर्द मिला....

उनके अल्फ़ाज़ रूठ गए,
वो इस कदर टूट गए,

किसी से ना थी शिकायत उन्हें,
फ़िर खुदा का घर तक  छोड़ आए....


उसे पूरी कायनात में एक शक्स्
प्यारा लगा,
उसी का ना उसे फ़िर सहारा मिला.....


किसी की यादों ने उन आँखों की चमक खां ली,
और दुनिया समझती है की लड़का नशा करता है....



फिर क्या था, उन्हे एक हमदर्द मिला,
कम्बखत उसी से सारा दर्द मिला....

 
© rahulchopra1120


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