"अजीब सा रिश्ता"
मैं जो खुद में ही उलझी रहती हूँ,
न जाने क्यों उसे सुलझी सी लगती हूँ।
मैं जो खुद से ही परेशान रहती हूँ,
न जाने क्यों उसे अच्छी लगती हूँ।
तंग आ जाती हूँ मैं अपने ही ख्यालों से,
आखिर क्यों उसके ख्यालों...
न जाने क्यों उसे सुलझी सी लगती हूँ।
मैं जो खुद से ही परेशान रहती हूँ,
न जाने क्यों उसे अच्छी लगती हूँ।
तंग आ जाती हूँ मैं अपने ही ख्यालों से,
आखिर क्यों उसके ख्यालों...