...

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यादो का समंदर
क्या रेत के समंदर में
नदियाँ बहाओगे ..
🌳🌳🌳🌳
तराश कर पत्थर क्या
मोती बनाओगे..
🌲🌲🌲🌲

पानी की बूँद सी है जिंदगी
इस पर कितना इतराओगे..
💦💦💦💦
कि वस दो मुट्ठी राख भर हैं ये साँसे
इसे कितना गँवाओगे ..
🤝🤝🤝
जो वादे है अब यादें है
उन्हें कितना निभाओगे

🌹🌹🌹🌹🌹
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© रविन्द्र "समय"