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फूल खिला है,,
#सांझ
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
देखो एक और लम्हा फिसला है
अंधेरा भी रह जायेगा अकेला
संग तेरे रोशनी का काफिला है
रात खुद आएगी दिन को लेकर
कुदरत का यही तो सिलसिला है
महक उठेंगी ये राहें वीरान तेरी
राह में गर एक भी फूल खिला है
© बूंदें
सांझ को फ़िर निमंत्रण मिला है
दोपहर कल के लिए निकला है
अब उठो तुम है इंतजार किसका
देखो एक और लम्हा फिसला है
अंधेरा भी रह जायेगा अकेला
संग तेरे रोशनी का काफिला है
रात खुद आएगी दिन को लेकर
कुदरत का यही तो सिलसिला है
महक उठेंगी ये राहें वीरान तेरी
राह में गर एक भी फूल खिला है
© बूंदें
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