...

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शाम ...
ख़ैर,
एक काम करो
एक किताब तुम रखो
उसमें मेरी शिकायते बेशूमार लिखों
काफी शिकायते होगी ही
कुछ अनकही, कुछ अनसुनी
मुझे पूरा यकीं है
तुम्हारे यकीं में
तुम फिर से मुझे नासमझ कहोगी ही
मुझे पूरा यकीं है
तुम्हारे यकीं में
तुम फिर से मुझे बा-वफ़ा कहोगी ही
मुझे पूरा यकीं है
तुम्हारे यकीं में
तुम फिर से अपने आंसुओं को पहले तव्वजो दोगी ही

ख़ैर,
अब किताब रख ही लिया है
अब गलतियों को लिख ही लिया है
तो ज़रा ये भी बताओं
इतनी...