...

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कुछ बाकी है अब भी
तुम कोई गजल, कोई किताब हो क्या?
जी करता है देखता रहूँ तुम ख्वाब हो क्या?

तुम जब भी आती हो खुशबू बिखरती है,
तुम चमेली हो या महकता गुलाब हो क्या?

तुम्हारी सूरत से नूर छलकता रहता है,
तुम आसमां का चमकता आफताब हो क्या?

तुम्हारी इक छुवन भर से नशा हो जाता है,
तुम नई बोतल मे बन्द पुरानी शराब हो क्या?

मुझे जब से लगी है छूटने का नाम नही लेती,
अच्छा तो तुम आदत बहुत खराब हो क्या?

कभी मेरी आँखों में तो कभी मेरे दिल में,
हमेशा उठती रहती हो तुम सैलाब हो क्या?

अब भी बहुत कुछ बाकी है लिखने के लिये,
तुम मेरी जिन्दगी की अधुरी किताब हो क्या?
© Ank's