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छठवीं कक्षा की कविता
एक छोटी से ख्वाहिश है मेरी
एक छोटा सा घर होगा मेरा
अकेले सुंदर जगह पर पड़ा
रहूंगी मैं उसमे, मेरे मां-पाप भी होंगे
बचपन की यादो को उसमे सजाउंगी
लोग भी पुछे, कैसा घर होगा तेरा
घर ऐसा जिसमे सूबा शाम हो सवेरा
बचपन की याद होगी उसमे,
वो बगीचा, क्रिकेट का स्थान
वो गुड्डे गुड़ियों का स्थान वो झूलो का जहान
एक छोटी ख्वाहिश है मेरी
एक छोटा सा घर होगा मेरा
© shagufta
एक छोटा सा घर होगा मेरा
अकेले सुंदर जगह पर पड़ा
रहूंगी मैं उसमे, मेरे मां-पाप भी होंगे
बचपन की यादो को उसमे सजाउंगी
लोग भी पुछे, कैसा घर होगा तेरा
घर ऐसा जिसमे सूबा शाम हो सवेरा
बचपन की याद होगी उसमे,
वो बगीचा, क्रिकेट का स्थान
वो गुड्डे गुड़ियों का स्थान वो झूलो का जहान
एक छोटी ख्वाहिश है मेरी
एक छोटा सा घर होगा मेरा
© shagufta
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