Ek intezaar
तुम एक इंतज़ार ही तो हो...!!
वो जो दो धड़कनों के बीच में
वक़्त होता है न
खाली सा, शांत सा, जिसमें शून्य रहता है
मगर जिसमें अगली धड़कन की उम्मीद होती है
तुम वो हो....
पलकें जब झपक कर खुलतीं हैं,
तो किसी को ढूंढती हैं
किसी को पाती नहीं तो फिर बंद हो कर
फिर खुलतीं हैं
ये...
वो जो दो धड़कनों के बीच में
वक़्त होता है न
खाली सा, शांत सा, जिसमें शून्य रहता है
मगर जिसमें अगली धड़कन की उम्मीद होती है
तुम वो हो....
पलकें जब झपक कर खुलतीं हैं,
तो किसी को ढूंढती हैं
किसी को पाती नहीं तो फिर बंद हो कर
फिर खुलतीं हैं
ये...