...

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फ़िक्र तेरी
वक्त बदल सा गया है
हवाएं भी अब पहली सी बहती नहीं

बदला है मिज़ाज लिखने का
मौसम का मिज़ाज भी अब पहले जैसा रहा
नहीं

चेहरे का जों नूर देखा था तूने
अब वो नूर चेहरे का रहा नहीं

वो हंसती खिलखिलाती...