जरा ठहर जा..
फिर सजाने जिंदगी जरा ठहर जा
रुक आशियाने अपने न शहर जा
फिर खिल उठेगा वही समा
न कर खुद पर तू गुमां
खुद को रोक जरा साध ले
घर में रुक मन बांध...
रुक आशियाने अपने न शहर जा
फिर खिल उठेगा वही समा
न कर खुद पर तू गुमां
खुद को रोक जरा साध ले
घर में रुक मन बांध...