...

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रब्ब का एतबार
क्यों मुझे तेरी याद आएं बार बार,
क्यों करता रहूं हर पल मैं तेरा इंतज़ार,
क्यों तेरे लिए ही मेरा दिल रहता है बेकरार,
क्यों तेरे बिना सूना लगें मुझे यह सारा संसार,
क्यों मेरी बदनसीबी ने हमारे बीच में खींच रखी है दीवार,
क्यों सदियों सी जुदाई के बाद भी किस्मत का खुला नहीं द्वार,
क्यों रब्ब को नहीं है आजकल मेरी दुआओं पर एतबार,
क्यों मुझे ही ग़म देकर मुझसे छीन रखी है खुशीयों की बहार।
© DEV-HINDUSTANI